गर्मी का मौसम अब पहले जैसा नहीं रहा. हर साल तापमान रिकॉर्ड तोड़ता जा रहा है. धूप पहले से तेज, हवा में नमी कम और बाहर निकलना किसी सज़ा से कम नहीं लगता. ऐसे में अक्सर आपने टीवी या न्यूज़ में सुना होगा – रेड अलर्ट जारी, या फिर ऑरेंज अलर्ट घोषित. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये अलर्ट होते क्या हैं? और ये हमें क्यों बताए जाते हैं? अगर आप भी इन शब्दों को सुनकर कन्फ्यूज़ हो जाते हैं या बस इतना समझते हैं कि “गर्मी ज़्यादा है”, तो चलिए आज इसे आसान भाषा में समझते हैं – बिल्कुल वैसे जैसे एक दोस्त समझाता है.
हीट वेव क्या होती है?
सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि हीट वेव क्या होती है. जब गर्मी अचानक बहुत बढ़ जाती है और तापमान कई दिनों तक सामान्य से कहीं ज़्यादा बना रहता है, तो उसे हीट वेव कहते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपके शहर का सामान्य तापमान गर्मियों में 38 डिग्री होता है और अचानक वो 44-45 डिग्री या उससे ऊपर पहुंच जाए, तो मौसम विभाग उसे हीट वेव घोषित कर देता है.
हीट वेव खतरनाक होती है. इससे शरीर का तापमान बढ़ सकता है, पसीना सूख जाता है और आपको हीट स्ट्रोक तक हो सकता है – जो जानलेवा भी बन सकता है.
अब आते हैं अलर्ट्स पर – रेड, ऑरेंज और येलो आखिर हैं क्या?
मौसम विभाग ने लोगों को पहले से सचेत करने के लिए एक सिस्टम बनाया है. इसके तहत तीन तरह के अलर्ट जारी किए जाते हैं – येलो, ऑरेंज और रेड. ये अलर्ट इस बात की चेतावनी देते हैं कि कितनी गर्मी पड़ने वाली है और उससे कितना खतरा हो सकता है.
येलो अलर्ट – एक तरह की शुरुआती चेतावनी
जब मौसम विभाग को लगता है कि आने वाले समय में तापमान थोड़ा ज्यादा रहेगा, तो वो येलो अलर्ट जारी करता है. इसका मतलब ये नहीं कि तुरंत खतरा है, लेकिन आपको थोड़ा सतर्क रहना चाहिए. जैसे मम्मी कहती हैं – “दोपहर में मत निकलना, बहुत धूप है.”
ऑरेंज अलर्ट – खतरा बढ़ रहा है, सावधान रहिए
ऑरेंज अलर्ट तब जारी किया जाता है जब हीट वेव तेज हो चुकी होती है और लोगों के बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इस समय पर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. सरकार को भी अलर्ट कर दिया जाता है कि अस्पताल और पानी की सुविधाएं तैयार रखें.
रेड अलर्ट – ये सीरियस है, अब बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं
रेड अलर्ट सबसे गंभीर चेतावनी होती है. जब तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि लोगों की जान पर बन सकती है, तो रेड अलर्ट जारी होता है. इस समय दोपहर में बाहर निकलना, धूप में पैदल चलना या शरीर को डीहाइड्रेट रखना – ये सब बहुत बड़ा रिस्क बन जाते हैं. रेड अलर्ट का मतलब है कि अब लापरवाही बिलकुल नहीं की जा सकती.
क्यों जरूरी है ये जानना?
अब आप सोच सकते हो कि “हमें क्या फर्क पड़ता है?” लेकिन असल में फर्क बहुत पड़ता है. अगर आप अलर्ट को समझते हो, तो आप और आपका परिवार खुद को बचा सकता है. समय पर पानी पीना, सही कपड़े पहनना, जरूरी ना हो तो बाहर ना जाना – ये छोटी चीज़ें आपको बड़ी मुसीबत से बचा सकती हैं